Chairman Message
Dr. Sumitra Meena
श्री मत्स्य जनकल्याण समिति, गंगापुर सिटी
अध्यक्ष की कलम से...
वर्तमान आर्थिक वैश्वीकरण एवं निजीकरण ने शिक्षा के गुणात्मक पहलुओं को नष्ट कर देश की शैक्षणिक व्यवस्था को बाजार रूप दे दिया है। ऐसी विकट परिस्थतियों में शिक्षा के मूल स्वरूप को बनाए रखना हम सब के सामने एक गंभीर चुनौती हैं। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में श्री मत्स्य महाविद्यालय अपनी विशिष्ट पहचान रखेगा। ऐसा मैं विश्वास दिलाती हूँ। यह न केवल बौद्धिक प्रतिभाओं को निखारने के सुअवसर प्रदान करेगा अपितु विद्यार्थी को जीवन मूल्यों से साक्षात्कार करवाते हुए उन्हें सही अर्थों में
शैक्षणिक विकास की ओर अग्रसर करेगा। संस्थान का ध्येय शिक्षार्थी को समाज और राष्ट्र के प्रति डॉ. सुमित्रा मीणा जिम्मेदार नागरिक बनाना है, ताकि वो आगे चलकर अपने परिवार व समाज व राष्ट्र के लिए समर्पित भाव से काम कर सकें। बेटा-बेटी एक समान की थीम पर इसकी नींव रखी गई हैं। उच्च शिक्षा में हर बेटा-बेटी
को समकक्ष शैक्षणिक वातावरण मिल सके इसे ध्यान में रखकर रूपरेखा तैयार की गई है।
बहु आयामी शिक्षण विधियों द्वारा विद्यार्थी द्वारा विद्यार्थी का समुचित विकास हमारी प्रथम प्राथमिकता रहेगी। प्रत्येक विद्यार्थी आदर्श नागरिक बन सके शिक्षण और शिक्षणेत्तर गतिविधियों में भाग ले सके, इस योग्य बनाना हमारा नैतिक दायित्व रहेगा। महाविद्यालय के साथ आज की शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता को बनाने रखने के लिए सदैव प्रयासरत रहेंगे। ग्रामीण परिवेश और नगरीय समाज के हरेक तबके के विद्यार्थी को रियायती दर से गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने का हमने संकल्प लिया है। इसे लक्ष्य तक पहुंचाना हमारे साथ आपका भी दायित्व हैं।
मैं, सभी प्रबुद्धजनों से सविनय अनुरोध करती हूँ, कि आप कृपया अपने व्ययस्तम समय में से अल्प समय निकाल कर एक बार महाविद्यालय की शैक्षणिक, प्रशासनिक एवं भौतिक व्यवस्थाओं का अवलोकन करे ताकि, आपको लगे कि संस्थान विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए कितने समर्पित भाव से कार्य कर रहा है। वर्तमान परिस्थितियों में शिक्षा का यह पथ बहुत ही कठिन है, आपके अनवरत सहयोग एवं मार्गदर्शन से हम अपने लक्ष्य में सफल होंगे, ऐसा हमारा विश्वास है। शैक्षणिक उन्नति में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सहभागी सभी का हार्दिक आभार एवं धन्यवाद ।
"कर्तव्यों का बोध कराती अधिकारों का ज्ञान शिक्षा से ही मिल सकता है। सर्वोपरि सम्मान ।"